Wednesday 10 August 2011

सूचना के अधिकार से देखिए उत्तर पुस्तिकाएं

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : सूचना के अधिकार कानून (आरटीआइ) के तहत विद्यार्थी अपनी उत्तर पुस्तिकाएं देख सकते हैं। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि जांची जा चुकी उत्तर पुस्तिकाएं आरटीआइ कानून में दी गई सूचना की परिभाषा के तहत आती हैं। इस फैसले के बाद सभी तरह की परीक्षाओं में शामिल विद्यार्थियों को आरटीआइ के तहत अपनी जांची जा चुकी उत्तर पुस्तिकाएं देखने का अधिकार होगा। यह अहम फैसला न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन और न्यायमूर्ति एके पटनायक की पीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के 5 फरवरी, 2009 के फैसले को सही ठहराते हुए सुनाया है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा था कि छात्र आरटीआइ के तहत अपनी उत्तर पुस्तिकाएं देख सकते हैं। हाईकोर्ट ने तो यहां तक कहा था कि जब मतदाताओं को उम्मीदवार का बायोडाटा जानने का अधिकार है तो छात्रों को तो अपनी उत्तर पुस्तिकाएं देखने का उससे ज्यादा अधिकार है। हाईकोर्ट के इस फैसले को सीबीएसई, पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया, कलकत्ता विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद, चेयरमैन वेस्ट बंगाल सेंट्रल स्कूल सर्विस कमीशन, असम पब्लिक सर्विस कमीशन और बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि उत्तर पुस्तिका आरटीआइ कानून की धारा 8(1)(ई) के तहत नहीं आएंगी जिसमें विश्वास के संबंध में रखी सूचना सार्वजनिक करने से छूट दी गई है। एजूकेशन बोर्ड और आयोगों का कहना था कि आरटीआइ अर्जी में उत्तर पुस्तिकाएं नहीं दिखाई जा सकतीं क्योंकि ये परीक्षा लेने वाली अथॉरिटी के पास विश्वास के संबंध के तहत होती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को ठुकरा दिया। याचिकाकर्ताओं की यह भी दलील थी कि अगर आरटीआइ में उत्तर पुस्तिकाएं दिखाई जाने लगीं तो सारा सिस्टम बैठ जाएगा और कामकाज मुश्किल हो जाएगा, लेकिन कोर्ट ने दलीलें खारिज करते हुए कहा कि अब व्यवस्था बदल रही है।
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